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Showing posts from September, 2025

शिव-पार्वती संवाद कथा (भाग 40): सखी द्वारा श्रीराम-लक्ष्मण का प्रथम दर्शन और पुष्पवाटिका-निरीक्षण

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सखी द्वारा श्रीराम-लक्ष्मण का प्रथम दर्शन और पुष्पवाटिका-निरीक्षण प्रस्तावना: रामजन्म के अलौकिक कारण 🌟✨ (आप सभी ने इसके पहले के पृष्ठों पर भगवान रामजन्म के 5 कारण पढ़े ,जो शिवजी ने माता पार्वती को सुनाए। इन्हीं कारणों के परिणाम स्वरुप भगवान श्री राम ने अयोध्या में अवतार लिया ।) 📚 पूर्व कथाओं की झलक (पिछले भाग की लिंक) 👉 भाग 13 पढ़ें : राम अवतार का प्रथम कारण (जय-विजय का श्राप) 👉 भाग 14 पढ़ें : राम अवतार का दूसरा कारण (वृंदा का श्राप) 👉 भाग 15 पढ़ें : राम अवतार का तीसरा कारण (नारद अभिमान) 👉 भाग 24 पढ़ें : राम अवतार का चौथा कारण (मनु-शतरूपा तप)  👉 भाग 29 पढ़ें : राम अवतार का पाँचवाँ कारण (प्रतापभानु कथा) ⭐ अहल्या उद्धार के बाद श्रीराम का महाराज जनक की नगरी मिथिला में प्रवेश 🚶‍♂️ गोस्वामी जी लिखते हैं— चले राम लछिमन मुनि संगा । गए जहाँ जग पावनि गंगा ॥ गाधिसूनु सब कथा सुनाई । जेहि प्रकार सुरसरि महि आई ॥  (भगवान ने माता अहल्या जी को मोक्ष दिया और लक्ष्मणजी एवं मुनि विश्वामित्रजी के साथ आगे बढ़े। । वे वहाँ पहुँचे, जहाँ जगत को प...

शिव-पार्वती संवाद कथा (भाग 28)याज्ञवल्क्य–भारद्वाज संवाद: प्रतापभानु की कथा 4

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 प्रतापभानु की कथा  (भाग-4)  प्रस्तावना: कथा का महत्व : 👉जानकारी के लिए स्पष्ट किया जा रहा है — श्रीरामचरितमानस जी को समझने के लिए कथा के प्रारंभ से जुड़े रहना चाहिए । तभी श्रीराम जी के चरित्र की कथा का पूर्ण रूप से आनंद प्राप्त होगा । याज्ञवल्क्य-भारद्वाज संवाद : भगवान श्रीराम जी के चरित्र की कथा श्री याज्ञवल्क्य मुनि , भारद्वाज मुनि जी को सुना रहे हैं — 👉 'याज्ञवल्क्य-भारद्वाज-संवाद' पूरा प्रसंग पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें ।    प्रतापभानु की कथा: शत्रु का वेश ⚔️ प्रतापभानु साधु वेष में छिपे अपने शत्रु राजा को पहचान नहीं सके । कपटी मुनि तो प्रतापभानु के विषय में सब कुछ जानता था । अतः उसने प्रतापभानु को उसके भूतकाल में घटित सभी घटनाओं के बारे में बताया  नाम तुम्हार प्रताप दिनेसा। सत्यकेतु तव पिता नरेसा॥ कपटी मुनि ने कहा — तुम्हारा नाम प्रतापभानु है, महाराज सत्यकेतु तुम्हारे पिता थे। हे राजन्‌! गुरु की कृपा से मैं सब जानता हूँ।  प्रतापभानु की माँग: अमरता और अकण्टक राज्य 📜   प्रतापभानु को लगा कि ये मुनि अन्तर्यामी हैं,  अव...

शिव-पार्वती संवाद कथा (भाग 27)याज्ञवल्क्य–भारद्वाज संवाद: प्रतापभानु की कथा (भाग-3)

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 प्रतापभानु की कथा  (भाग-3)  प्रस्तावना: कथा का महत्व : 👉जानकारी के लिए स्पष्ट किया जा रहा है — श्रीरामचरितमानस जी को समझने के लिए कथा के प्रारंभ से जुड़े रहना चाहिए । तभी श्रीराम जी के चरित्र की कथा का पूर्ण रूप से आनंद प्राप्त होगा । याज्ञवल्क्य-भारद्वाज संवाद : भगवान श्रीराम जी के चरित्र की कथा श्री याज्ञवल्क्य मुनि , भारद्वाज मुनि जी को सुना रहे हैं — 👉 'याज्ञवल्क्य-भारद्वाज-संवाद' पूरा प्रसंग पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें ।    तुलसीदासजी का दोहा और अर्थ 📜 तुलसीदासजी गोस्वामी जी लिखते हैं — तुलसी जसि भवतब्यता तैसी मिलइ सहाइ। आपुनु आवइ ताहि पहिं ताहि तहाँ लै जाइ॥ अर्थात जैसी भवितव्यता (होनहार) होती है, वैसी ही सहायता मिल जाती है। या तो वह (होनी) ही उसके पास आती है या मनुष्य को उस स्थान पर ले जाती है ।   प्रतापभानु की कथा: शत्रुओं का जाल ⚔️ राजा प्रतापभानु के साथ भी यही घटना घटित हुई। भवितव्यता (होनी) प्रतापभानु को घने वन में बने एक सुंदर आश्रम में ले गई।    प्रतापभानु जिस आश्रम को एक साधु का आश्रम समझकर रुका और जिसे साधु...

शिव-पार्वती संवाद कथा (भाग 26)याज्ञवल्क्य–भारद्वाज संवाद: प्रतापभानु की कथा (भाग-2)

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 प्रतापभानु की कथा  (भाग-2)  प्रस्तावना: कथा का महत्व : 👉जानकारी के लिए स्पष्ट किया जा रहा है — श्रीरामचरितमानस जी को समझने के लिए कथा के प्रारंभ से जुड़े रहना चाहिए । तभी श्रीराम जी के चरित्र की कथा का पूर्ण रूप से आनंद प्राप्त होगा । याज्ञवल्क्य-भारद्वाज संवाद : भगवान श्रीराम जी के चरित्र की कथा श्री याज्ञवल्क्य मुनि , भारद्वाज मुनि जी को सुना रहे हैं — 👉 'याज्ञवल्क्य-भारद्वाज-संवाद' पूरा प्रसंग पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें ।    प्रतापभानु का चक्रवर्ती राज्य : गोस्वामी जी लिखते हैं — सप्त दीप भुजबल बस कीन्हे। लै लै दंड छाड़ि नृप दीन्हे॥ सकल अवनि मंडल तेहि काला। एक प्रतापभानु महिपाला॥   प्रतापभानु ने अपनी भुजाओं के बल से सातों द्वीपों को वश में कर लिया और अन्य राजाओं से दंड (कर) ले-लेकर उन्हें छोड़ दिया। सम्पूर्ण पृथ्वी मंडल का उस समय प्रतापभानु ही  चक्रवर्ती राजा था । उसके राज्य में प्रजा सुखी थी । शिकार का रोमांच :  कुछ दिन बीते । एक दिन प्रतापभानु शिकार हेतु वन में गया । वहाँ एक अद्भुत सुअर को देखकर प्रतापभानु उस जंगली सुअर का ...

शिव-पार्वती संवाद कथा (भाग 25) याज्ञवल्क्य–भारद्वाज संवाद: प्रतापभानु की कथा (भाग-1)

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 प्रतापभानु की कथा  (भाग-1)  प्रस्तावना: कथा का महत्व : 👉जानकारी के लिए स्पष्ट किया जा रहा है — श्रीरामचरितमानस जी को समझने के लिए कथा के प्रारंभ से जुड़े रहना चाहिए । तभी श्रीराम जी के चरित्र की कथा का पूर्ण रूप से आनंद प्राप्त होगा । याज्ञवल्क्य-भारद्वाज संवाद : भगवान श्रीराम जी के चरित्र की कथा श्री याज्ञवल्क्य मुनि , भारद्वाज मुनि जी को सुना रहे हैं — 👉 'याज्ञवल्क्य-भारद्वाज-संवाद' पूरा प्रसंग पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें । पाँचवा कारण: रावण के जन्म की कथा पाँचवा कारण - पाँचवे कारण में भगवान राम के जन्म से पहले रावण के जन्म की कथा है । गोस्वामी जी लिखते हैं — सुनु मुनि कथा पुनीत पुरानी। जो गिरिजा प्रति संभु बखानी॥ याज्ञवल्क्य मुनि, भारद्वाज मुनि जी से कहते हैं —  हे मुनि! वह पवित्र और प्राचीन कथा सुनो, जो शिवजी ने माँ पार्वती को सुनाई थी।  कैकय देश और राजा सत्यकेतु : गोस्वामी जी लिखते हैं — बिस्व बिदित एक कैकय देसू। सत्यकेतु तहँ बसइ नरेसू॥ संसार में प्रसिद्ध एक कैकय देश है। वहाँ सत्यकेतु नाम का राजा राज्य करता था । उसके दो पुत्र थे । ब...