शिव-पार्वती संवाद कथा (भाग 40): सखी द्वारा श्रीराम-लक्ष्मण का प्रथम दर्शन और पुष्पवाटिका-निरीक्षण
👉जानकारी के लिए स्पष्ट किया जा रहा है —
श्रीरामचरितमानस जी को समझने के लिए कथा के प्रारंभ से जुड़े रहना चाहिए । तभी श्रीराम जी के चरित्र की कथा का पूर्ण रूप से आनंद प्राप्त होगा ।
भगवान श्रीराम जी के चरित्र की कथा श्री याज्ञवल्क्य मुनि, भारद्वाज मुनि जी को सुना रहे हैं —
पाँचवा कारण - पाँचवे कारण में भगवान राम के जन्म से पहले रावण के जन्म की कथा है ।
गोस्वामी जी लिखते हैं —
सुनु मुनि कथा पुनीत पुरानी। जो गिरिजा प्रति संभु बखानी॥
याज्ञवल्क्य मुनि, भारद्वाज मुनि जी से कहते हैं —
हे मुनि! वह पवित्र और प्राचीन कथा सुनो, जो शिवजी ने माँ पार्वती को सुनाई थी।
बिस्व बिदित एक कैकय देसू। सत्यकेतु तहँ बसइ नरेसू॥
संसार में प्रसिद्ध एक कैकय देश है। वहाँ सत्यकेतु नाम का राजा राज्य करता था । उसके दो पुत्र थे । बड़े पुत्र का नाम था, प्रतापभानु और छोटे पुत्र का नाम था, अरिमर्दन।
राजा प्रतापभानु भी अपने पिता की भाँति बड़े ही धर्मात्मा राजा हुआ। एक-एक यज्ञ को हजार- हजार बार करने वाला राजा। उसके राज्य में कहीं भी पाप-अधर्म का नाम नहीं था।
एक बार राजा प्रतापभानु अपनी चतुरंगिनी सेना सजाकर, शुभ दिन, मुहूर्त मे दिग्विजय के लिए चला। जहाँ-तहाँ बहुत-सी लड़ाइयाँ हुईं। उसने सब राजाओं को बलपूर्वक जीत लिया ।
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