शिव-पार्वती संवाद कथा (भाग 40): सखी द्वारा श्रीराम-लक्ष्मण का प्रथम दर्शन और पुष्पवाटिका-निरीक्षण
तुलसीदास जी लिखते हैं —
राम जनम के हेतु अनेका। परम बिचित्र एक तें एका ।
भगवान शंकर कहते हैं —
"देवी ! श्री रामचन्द्रजी के जन्म लेने के अनेक कारण हैं, जो एक से एक बढ़कर विचित्र हैं ।"
इस प्रकार भगवान शंकर ने श्री राम जी के अवतार के अनेक कारणों में से पाँच कारण माँ पार्वती को सुनाए हैं, जिनके बारे में विस्तृत जानकारी —
* सबसे पहला कारण —
भगवान श्री हरि के द्वार पर दो द्वारपाल थे - जय और विजय, जिनको सब कोई जानते हैं । एक बार सनकादिक ऋषि भगवान विष्णु से मिलने पहुँचे। द्वारपालों ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इसी कारण क्रोध में आकर सनकादिक मुनियों ने जय और विजय द्वारपालो को श्राप दे दिया । इस श्राप के कारण जय और विजय तीन बार असुर बने ।
इनमें से एक (हिरण्याक्ष) को भगवान ने वराह (सूअर) का शरीर धारण करके मारा, फिर दूसरे (हिरण्यकशिपु) का नरसिंह रूप धारण करके श्री हरि ने वध किया और अपने भक्त प्रह्लाद का सुंदर यश फैलाया ।
भगवान के द्वारा मारे जाने पर भी वे (हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु) इसीलिए मुक्त नहीं हुए क्योंकि ब्राह्मण के वचन (शाप) का प्रमाण तीन जन्म के लिए था। त्रेतायुग में रावण और कुंभकरण के रूप में पुनर्जन्म हुआ। अतः एक बार फिर उनके (जय और विजय) कल्याण के लिए भक्तप्रेमी भगवान राम ने अवतार लिया ।
नोट 👉 आगे चलकर हम (ब्राह्मण के वचन (शाप) का प्रमाण ) के बारे में विस्तार से जानेंगे।
उनके (जय और विजय) मोक्ष के लिए भक्तप्रेमी भगवान ने श्रीकृष्ण के रूप में फिर अवतार लिया ।
✍️ यह रामजी के जन्म का प्रथम कारण है (अगला कारण अगले भाग में)
शेष अगले पृष्ठ पर.....
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जय श्री सियाराम 🙏🌹
ReplyDeleteजय श्री हनुमान 🙏🌹
Jai shree Ram
ReplyDeleteJai shree Ram 🙏
ReplyDeleteJAY Siyaram
ReplyDeleteJAY Siyaram. Saral language
ReplyDeleteJay shree Ram,🙏
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