शिव-पार्वती संवाद कथा (भाग 40): सखी द्वारा श्रीराम-लक्ष्मण का प्रथम दर्शन और पुष्पवाटिका-निरीक्षण
सब सुर बिष्नु बिरंचि समेता। गए जहाँ सिव कृपानिकेता॥
पृथक-पृथक तिन्ह कीन्हि प्रसंसा। भए प्रसन्न चंद्र अवतंसा॥
बोले कृपासिंधु बृषकेतू। कहहु अमर आए केहि हेतू॥
रति के जाने के बाद सभी देवता तुरंत कैलाश पर्वत पहुँचे और सभी ने एक साथ मिलकर शिवजी की स्तुति की।
शिव जी प्रसन्न हुए और देवताओं से कैलाश आने का कारण पूछा।
सकल सुरन्ह के हृदयँ अस संकर परम उछाहु।
निज नयनन्हि देखा चहहिं नाथ तुम्हार बिबाहु॥
ब्रह्मा जी ने बोले— "प्रभु ! आपने श्री राम जी को वचन दिया है।इसलिए ये सभी देवतागण आपका विवाह देखने के लिए उत्सुक हैं। "
ब्रह्माजी की प्रार्थना सुनकर और प्रभु श्री रामचन्द्रजी के वचनों को याद करके शिवजी ने प्रसन्नतापूर्वक कहा—
"हम तैयार हैं, विवाह हेतु। आप रचना बनाइए।"
ब्रह्माजी ने सप्तर्षियों को हिमाचल महाराज के यहाँ भेजा और विवाह का मुहूर्त निकलवा कर लाने के लिए कहा। सप्तर्षि शिव और पार्वती के विवाह का मुहूर्त लेकर आए।
लगन बाचि अज सबहि सुनाई। हरषे मुनि सब सुर समुदाई॥
ब्रह्माजी ने शिव-पार्वती के विवाह मुहूर्त को सभी देवताओं को सुनाया । उसे सुनकर सब मुनि और देवतागण हर्षित हो गये। आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी, बाजे बजने लगे और दसों दिशाओं में मंगल कलश सजा दिए गए॥
ब्रह्मा जी ने सभी देवतागण को मार्गशीर्ष यानी अगहन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि, दिन सोमवार को शाम के समय कैलाश पर्वत पर शिव जी की बारात के लिए बाराती बनकर समय पर उपस्थित होने को कहा।
(सभी जगह आमतौर पर शिव-पार्वती का विवाह उत्सव शिवरात्रि के दिन मनाया जाता है किन्तु शिव महापुराण के रुद्रसंहिता में बताया गया है कि शिव-पार्वती का विवाह मार्गशीर्ष यानी अगहन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को हुआ था। इसके बारे में रुद्रसंहिता के 58-61वें श्लोक में वर्णन है। )
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Jai shree Ram
ReplyDeleteजय सियाराम 🙏🌹
ReplyDeleteहर-हर महादेव 🙏🌹
जय हनुमान 🙏🌹
🙏🙏
ReplyDeleteJai shree Ram
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