शिव-पार्वती संवाद कथा (भाग 40): सखी द्वारा श्रीराम-लक्ष्मण का प्रथम दर्शन और पुष्पवाटिका-निरीक्षण
(आप सभी ने इसके पहले के पृष्ठों पर भगवान रामजन्म के 5 कारण पढ़े ,जो शिवजी ने माता पार्वती को सुनाए। इन्हीं कारणों के परिणाम स्वरुप भगवान श्री राम ने अयोध्या में अवतार लिया ।)
गोस्वामी जी लिखते हैं —
कछुक दिवस बीते एहि भाँती । जात न जानिअ दिन अरु राती ॥
नामकरन कर अवसरु जानी । भूप बोलि पठए मुनि ग्यानी॥
कुछ दिवस बीते। फिर नामकरण संस्कार का समय आया। चक्रवर्ती महाराज दशरथ जी ने गुरु वशिष्ठ देव जी को बुलावाया।
गुरु वशिष्ठ देव जी को श्रेष्ठ आसन पर बिठाकर,महाराज दशरथ जी ने गुरुदेव जी के चरण पखारे और उनकी पूजा की।
उसके बाद महाराज दशरथ जी ने गुरुदेव जी से कहा—
"हे गुरुदेव! आपने मेरे बच्चों के जो भी नाम विचार कर अपने मन में रखे हैं ,वह बता दीजिए ।"
गुरु वशिष्ठजी ने कहा—
"इनके तो अनेकों नाम हैं किंतु आपने एक-एक नाम पूछा है, तो मैं उन अनेक नामों में से एक-एक नाम बता रहा हूँ। "
जो आनंद सिंधु सुखरासी । सीकर तें त्रैलोक सुपासी ॥
सो सुखधाम राम अस नामा।अखिल लोक दायक बिश्रामा।।
(दशरथ जी की गोद में ज्येष्ठ पुत्र रघुनाथ जी विराजमान हैं।)
गुरु वशिष्ठ ने कहा—
"महाराज आपके ये ज्येष्ठ पुत्र आनंद के समुद्र हैं।सुखों के धाम हैं। ये सबको विश्राम देने वाले हैं। इसलिए आज से इनका नाम 'राम' होगा।
बिस्व भरन पोषन कर जोई । ताकर नाम भरत अस होई ॥
(माता कौशल्या की गोद में दूसरे पुत्र विराजे हैं ।)
गुरुदेव ने कहा—
"आपके यह जो दूसरे पुत्र हैं ये विश्व का भरण- पोषण करने वाले हैं। इसलिए इनका नाम 'भरत' होगा।
जाके सुमिरन तें रिपु नासा । नाम सत्रुहन बेद प्रकासा।।
गुरुदेव ने कहा —
"महाराज! आपके जो सबसे छोटे कुमार हैं, उनके स्मरण मात्र से ही शत्रुओं का विनाश होगा। इसलिए इनका नाम शत्रुघ्न होगा।
लच्छन धाम राम प्रिय सकल जगत आधार ।
गुरु बसिष्ठ तेहि राखा लछिमन नाम उदार ॥
सबसे अंत में सुमित्रा मैया की गोद में जो कुमार बैठे हैं उनका नाम गुरु वशिष्ठजी ने रखा। गुरुदेव ने कहा —
"महाराज! आपके जो तीसरे कुमार हैं ;वे लक्षणों के धाम है, राम के अति प्रिय हैं। ये शेषनाग के अवतार हैं अतः इनका नाम 'लक्ष्मण' होगा।
धरे नाम गुर हृदयँ बिचारी । बेद तत्व नृप तव सुत चारी ॥
मुनि धन जन सरबस सिव प्राना । बाल केलि रस तेहिं सुख माना ॥
गुरुदेव ने चारों कुमारों का नामकरण किया और कहा "महाराज! आपके चारों कुमार चारों वेदों के सार तत्व हैं, मुनियों के धन हैं, भक्तों के सर्वस्व हैं और शिव जी के प्राण तत्व हैं ।"
भगवान शंकर माँ भवानी से कहते हैं —
"देवी! जो रघुनाथ जी जगत के माता-पिता हैं, आज वही राम जी बालक बनकर अयोध्यावासियों को सुख प्रदान कर रहे हैं ।"
व्यापक ब्रह्म निरंजन निर्गुण विदत बिनोद।
सो अज प्रेम भगति बस माँ कौशल्या के गोद।।
भगवान शंकर कहते हैं—
"देवी ! राम जी सर्व व्यापक हैं, ब्रह्म है, निरंजन है, निर्गुण है, सब प्रकार के विनोद से परे हैं, अजन्मा है, आज वही रामजी भक्त के प्रेमवश जन्म लेकर कौशल्या मैया की गोद में खेल रहे हैं।
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Jai shree Ram
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