शिव-पार्वती संवाद कथा (भाग 40): सखी द्वारा श्रीराम-लक्ष्मण का प्रथम दर्शन और पुष्पवाटिका-निरीक्षण
सखी द्वारा श्रीराम-लक्ष्मण का प्रथम दर्शन और पुष्पवाटिका-निरीक्षण
प्रस्तावना: रामजन्म के अलौकिक कारण 🌟✨
(आप सभी ने इसके पहले के पृष्ठों पर भगवान रामजन्म के 5 कारण पढ़े ,जो शिवजी ने माता पार्वती को सुनाए। इन्हीं कारणों के परिणाम स्वरुप भगवान श्री राम ने अयोध्या में अवतार लिया ।)
📚 पूर्व कथाओं की झलक (पिछले भाग की लिंक)
👉 भाग 14 पढ़ें : राम अवतार का दूसरा कारण (वृंदा का श्राप)
👉 भाग 15 पढ़ें : राम अवतार का तीसरा कारण (नारद अभिमान)
⭐ अहल्या उद्धार के बाद श्रीराम का महाराज जनक की नगरी मिथिला में प्रवेश 🚶♂️
(भगवान ने माता अहल्या जी को मोक्ष दिया और लक्ष्मणजी एवं मुनि विश्वामित्रजी के साथ आगे बढ़े। । वे वहाँ पहुँचे, जहाँ जगत को पवित्र करने वाली गंगाजी थीं । महाराज गाधि के पुत्र विश्वामित्रजी ने देवनदी गंगाजी की कथा सुनाई, जिस प्रकार देवनदी गंगाजी पृथ्वी पर आई थीं । उसके बाद गंगा में स्नान किया। महाराज जनक की नगरी मिथिला में प्रवेश किया)
👑 जनकपुर में राजा जनक जी के द्वारा विश्वामित्र और राम‑लक्ष्मण का सत्कार:
एक सुंदर आम के बगीचे में विश्वामित्र जी भगवान राम और लक्ष्मण के साथ वहाँ रुके। राजा जनक जी मुनि विश्वामित्र जी से मिलने आए और उन्हें प्रणाम करके पूछा—
"ये दोनों बालक कौन है ?"
विश्वामित्र मित्र जी ने दोनों कुमारो का परिचय कराते हुए कहा—
"ये दोनों कुमार अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र हैं। यज्ञ की रक्षा करने हेतु महाराज दशरथ ने इन्हें भेजा था । आज यहाँ धनुष-यज्ञ देखने आए हैं।"
(जनक जी को जब यह पता चला कि ये दोनों कुमार चक्रवर्ती महाराज दशरथ के पुत्र हैं, तो मुनि विश्वामित्र जी और श्री राम-लक्ष्मण को एक सुंदर महल में ठहराया। भोजन करने के बाद भगवान नगर-भ्रमण के लिए गए।)
🌅 प्रातःकाल- राम और लक्ष्मण की गुरु‑वंदना
गुर तें पहिलेहिं जगतपति जागे रामु सुजान ॥
(मिथिला में भगवान नगर भ्रमण करने के बाद रात्रि में विश्राम करने आए।अगले दिन प्रातःकाल अरुनसिखा (मुर्गा) की आवाज सुनकर सबसे पहले लक्ष्मण जी जागे और भगवान के चरणों की वंदना की। गुरु से पहले जगतपति जागे। दोनों भाइयों ने मिलकर गुरु-वंदना की और गुरु को जगाया। प्रात-क्रिया से निवृत्त हुए।
🌺 पुष्पवाटिका-निरीक्षण हेतु जाने की आज्ञा:
विश्वामित्र जी यह जानते हैं कि राम जी स्वयं भगवान हैं और चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ के पुत्र हैं । किंतु राम जी मुनि विश्वामित्र जी के साथ आए हैं, इसलिए राम जी स्वयं को विश्वामित्र जी का शिष्य मानते हैं।
इसलिए राम जी ने स्वयं विश्वामित्र जी से पुष्प वाटिका से पूजा के लिए कुछ पुष्प लाने की आज्ञा ली। गुरुदेव ने आज्ञा दी और राम जी लक्ष्मण जी के साथ बाग की ओर चले।
(यह प्रसंग कहता है हम कितने ही बड़े क्यों ना हों; यदि हम श्रेष्ठ (माता-पिता अथवा गुरुजन) के साथ हैं तो हमें सभी कार्य उनकी आज्ञा लेकर ही करना चाहिए। )
🌳 पुष्प वाटिका का दिव्य सौंदर्य:
भूप बागु बर देखेउ जाई । जहँ बसंत रितु रही लोभाई ॥
लागे बिटप मनोहर नाना । बरन बरन बर बेलि बिताना।।
श्री राम जी जब पुष्प वाटिका में पहुँचे, उस समय शरद ऋतु थी।
गोस्वामी जी लिखते हैं
भगवान श्री राम के आते ही ऐसा लगता है मानो वसंत ऋतु आ गई हो।
शरद ऋतु में वसंत ऋतु कैसे हो गई ?
वह ऐसे हो गई कि जहाँ भगवान श्रीराम जी का आगमन हो जाए या भगवान की भक्ति का आगमन हो जाए वहाँ सदैव वसंत ही वसंत बना रहता है,पतझड़ समाप्त हो जाता है।
पुष्प वाटिका में भिन्न-भिन्न प्रकार के वृक्ष लगे हुए हैं और उन वृक्षों पर नए-नए पत्ते लगे हुए हैं । नाना प्रकार के फल-फूल लगे हुए हैं ।
बाग के बीच में एक सुंदर सरोवर अर्थात तालाब है और इसी सरोवर के पास माता पार्वती जी का मंदिर है ।
चहुँ दिसि चितइ पूँछि मालीगन । लगे लेन दल फूल मुदित मन ॥
भगवान श्री राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ पुष्प वाटिका का निरीक्षण किया (देखा) और बाग के मालियों को ढूँढने लगे। माली की आज्ञा से दोनों भाई वाटिका में अंदर पुष्प तोड़ने के लिए गए।
(यह प्रसंग कहता है हम कितने ही बड़े क्यों ना हों; हमें किसी की वस्तु को उसके मालिक से आज्ञा लेकर ही लेना चाहिए। )
👭 सीता जी का सखियों सहित गिरिजा-पूजन हेतु पुष्पवाटिका में आगमन :
मज्जनु करि सर सखिन्ह समेता । गई मुदित मन गौरिनिकेता ॥
पूजा कीन्हि अधिक अनुरागा । निज अनुरूप सुभग बरु मागा ॥
उसी समय माता सुनैना(सीता जी की माँ) ने जानकी जी को पार्वती मैया का पूजन करने के लिए भेजा। माता जानकी अपनी सखियों के साथ आई। सरोवर में स्नान करने के बाद पार्वती मैया की पूजा-अर्चना की और "निज अनुरूप सुभग बरु मागा" अर्थात् अपने अनुरूप सुंदर वर माँगा।
💖 श्रीराम का प्रथम दर्शन और सखी का मनोभाव :
एक सखी सिय संगु बिहाई । गई रही देखन फुलवाई ॥
तेहिं दोउ बंधु बिलोके जाई । प्रेम बिबस सीता पहिं आई ॥
देखन बागु कुअँर दुइ आए । बय किसोर सब भाँति सुहाए ॥
स्याम गौर किमि कहौं बखानी । गिरा अनयन नयन बिनु बानी ॥
माता सीता अपनी आठ सखियों के साथ पुष्प वाटिका में आई हैं। एक सखी बड़ी ही चंचल है । वह पूजा छोड़कर फुलवारी देखने चली गई। वहाँ उस सखी ने भगवान श्री राम को पुष्प लेते हुए देख लिया। जैसे ही उस चतुर सखी ने भगवान श्री राम को देखा, वह बावली-सी हो गई और जानकी मैया के पास जाकर बताने लगी—
"जो दोनों कुमार नगर- भ्रमण के लिए गए थे, वही आज पुष्प वाटिका में भी घूमने आए हैं।"
दूसरी सखी ने पूछा —
"देखने में कैसे हैं?"
वह बोली—
"बड़े सुंदर हैं। अभी किशोरावस्था है।एक कुमार साँवले हैं और दूसरे गोरे हैं।"
एक सखी ने कहा —
"हाँ, पूरी मिथिला नगरी में उन्ही के(भगवान राम)रूप की चर्चा हो रही है। चलो, हम सबको भी चलकर एक बार उन्हें देख लेना चाहिए।"
शेष अगले पृष्ठ पर....
❓ FAQ — अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1️⃣ मुनि विश्वामित्रजी के पिता का क्या नाम है ?
महाराज गाधि मुनि विश्वामित्रजी के पिता थे ।
सीता जी की माँ का नाम है—माता सुनैना ।
3️⃣ सीता जी सखियों सहित पुष्पवाटिका में किस उद्देश्य से आईं?
माता सुनैना(सीता जी की माँ) ने जानकी माँ को पार्वती मैया का पूजन करने के लिए भेजा । इसलिए सीता जी सखियों सहित गिरिजा-पूजन हेतु पुष्पवाटिका में आईं।
4️⃣ ‘गंगा’ शब्द के पर्यायवाची शब्द क्या है?
🌸 देवनदी 🌸 भागीरथी 🌸 विष्णुपदी 🌸 मंदाकिनी 🌸 सुरसरि 🌸 जाह्नवी 🌸 त्रिपथगा 🌸 अलकनंदा (उपधारा)
5️⃣ 'अरुनसिखा' शब्द के पर्यायवाची शब्द क्या है?
🌸 मुर्गा 🌸 कुक्कुट 🌸प्रात-जागरण पक्षी 🌸लाल-कलगी वाला पक्षी 🌸अरुण-कलगी पक्षी
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