शिव-पार्वती संवाद कथा (भाग 40): सखी द्वारा श्रीराम-लक्ष्मण का प्रथम दर्शन और पुष्पवाटिका-निरीक्षण
(आप सभी ने इसके पहले के पृष्ठों पर भगवान रामजन्म के 5 कारण पढ़े ,जो शिवजी ने माता पार्वती को सुनाए। इन्हीं कारणों के परिणाम स्वरुप भगवान श्री राम ने अयोध्या में अवतार लिया ।)
"भगवान हम सबके लिए जन्म लेंगे। इसलिए उनके स्वागत के लिए हम सबको सर्वप्रथम पृथ्वी लोक पर जाना चाहिए।
कौन-से देव किस रूप में प्रभु की सहायतार्थ जाएँगे, यह निर्धारित हुआ—
सबसे पहले शंकर भगवान ने कहा—
"मैं वानर/हनुमान के रूप में जाऊँगा।"
विशेष — यहाँ यह बात स्पष्ट की जा रही है कि पृथ्वी पर भगवान शिव (नारद जी के शाप के अनुसार) भगवान राम की सहायता हेतु वानर के रूप में आए हैं ,ना कि बन्दर(पशु) की योनि में।
वानर/वनचर का अर्थ होता है—'वन में रहनेवाला नर' ।
इसलिए हनुमान जी को बंदर जाति से(पशु जाति से) नहीं जोड़ा जाना चाहिए ।
ब्रह्मा जी बोले—
"मैं जामवंत बनकर जाऊँगा।जामवंत, जो मेरी शक्ति और ज्ञान के प्रतीक होंगे, राम की सेना में बुद्धिमान सलाहकार और योद्धा के रूप में सेवा देंगे। उनकी आयु और अनुभव से वानर सेना को बल मिलेगा।"
सूर्य देव ने कहा —
"मैं सुग्रीव बन जाता हूँ।" इसलिए सूर्य देव सुग्रीव बनकर पृथ्वी पर आए।
देवताओं के राजा इंद्र ने कहा—
"मैं सुग्रीव का बड़ा भाई बालि बनकर जाऊँगा ।"इसलिए राजा इंद्र बालि बनकर पृथ्वी पर आए।
गोस्वामी जी लिखते हैं —
निज लोकहि बिरंचि गे देवन्ह इहइ सिखाइ।
बानर तनु धरि धरि महि हरि पद सेवहु जाइ॥
अर्थात सभी देवताओं को यही समझाकर कि वानरों का शरीर धर-धरकर तुम लोग पृथ्वी पर जाकर भगवान के चरणों की सेवा करो, ब्रह्माजी अपने लोक को चले गए ।
गोस्वामी जी लिखते हैं —
गए देव सब निज निज धामा। भूमि सहित मन कहुँ बिश्रामा॥
जो कछु आयसु ब्रह्माँ दीन्हा। हरषे देव बिलंब न कीन्हा॥
उसके बाद सब देवता भी अपने-अपने लोक को गए। पृथ्वी सहित सबके मन को शांति मिली। ब्रह्माजी ने जो कुछ आज्ञा दी, उससे देवता बहुत प्रसन्न हुए और सबने ब्रह्माजी की आज्ञापालन करने में देर नहीं की।
गोस्वामी जी लिखते हैं —
बनचर देह धरी छिति माहीं। अतुलित बल प्रताप तिन्ह पाहीं॥
गिरि तरु नख आयुध सब बीरा। हरि मारग चितवहिं मतिधीरा॥
पृथ्वी पर उन्होंने वानरदेह धारण की। उनमें अपार बल और प्रताप था। सभी शूरवीर थे, पर्वत, वृक्ष और नख ही उनके शस्त्र थे। वे धीर बुद्धि वाले (वानर रूप देवता) भगवान राम के अवतार की प्रतीक्षा करने लगे)
अब गोस्वामी जी कथा को लेकर अयोध्या पहुँचे—
शेष अगले पृष्ठ पर...
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Jai shree Ram
ReplyDeleteजय श्री राम
ReplyDeleteRamramjee
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